-- 【 अच्छा हुआ तुम मर गए। 】 --
बच्चों के मृत्यु पर, कुछ अच्छे लोग कह रहें बुरा हुआ।
वो अच्छे लोग जो अपनी जिंदगी जीने के लिए
दिन रात कोसतें काँग्रेस को, कम्बख़्त कुछ कर क्यों नही रही!
लोकतंत्र के महाराजधिराज को उन्माद फैलाने से रोक क्यों नही रही!
हुआ क्या इसे! बुझदिल बेकार विपक्ष।
महाराजधिराज के मंत्री अंधों को दिखा रहें देखो देश मंगल का,
देखो होते मंगल अभियान को।
उलट, सजक बुद्दिजीवी क्रांतकारी अग्रज कदम कदम पर राह बनाने वाले
कहतें हैं भारत तो बसता है चाँद पर!
बताओ! बताओ! चारो तरफ जन - जन को
हाहाकर मचा है चांद देश में, चांद के काले भाग में।
उस हिस्से में..
जिधर ये नही जातें, इनके बच्चे नही जातें, न।
जाती है सिर्फ इनकी बहरी बोलती कलम।
यह वाद, वह प्रतिवाद, ये विद्वान, वो चौहान।
जो बचा न सकें अपना अंगूठा, वो बन रहे प्राण दानवीर कर्ण!
हे, बचे हुए मूर्ख निरीह मानवीय पशु
अरे पागलों तुम खुश हो, नाचो, झूमो, रंगों की होली खेलो।
मरने के लिए जो पैदा हुए थें,
सिर्फ मरने के लिए 40 50 60 साल तक मरतें, वह मर गएं।
वह मर गएं जिनके कंधे पर उस बाप का बोझ होता जो उन्हें जानवर बनाता
उस मां का बोझ होता जो कही तो जाती भारत माता लेकिन खाने को अन्न न देती
उस परिवार का बोझ जो स्वाभिमान से अपंग होता
और, फिर पूरी लाचारी में घोर दुत्कार से गालियों के बीच प्राण जाती!
अच्छा है तुम मर गए, रोने वाला तो मिला!
वरना हमारे सम्मानीय, तुम्हारे सम्मान के लिए
ac रूम से युधिष्ठिर बन दुर्योध्न से भिड़े पड़ें हैं न जाने उन्हें फुर्सत मिलती न मिलती!
अच्छा हुआ तुम मर गए।
J❤️
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