यह सिगरेट जब
ज्वालामुखी बन उबाल मरेगा
तुम्हे
फिर से देवी के रूप में गढ़
तुम्हारी
सारी ऊर्जा को विशाल कह
समंदर में बदल दिया जाएगा
जिसकी लहरे होंगी
बड़े कुएं में इस ओर से उस ओर
जाती फिर एहसास
होगा सिगरेट के धुएं का असर
जो बुलबुला बन रह जाएगा पानी मे
ज्वालामुखी बन कर भी...
तुम समंदर नही
न ही रेत हो न ही पानी!
जो डुलते बहते रहोगे?
हिस्सा मांगो भागीदारी मांगो
सम्भाल के अपने आप को
दुनिया में
बराबरी मांगो
शराब में डूबा कर ही तो रखा गया है
निकलों औरतों
आगे बढ़ कर मंचो पर साझेदारी मांगो।।
Jy
सिगरेट का मेरा तातपर्य बुरे चीजों या हरकतों में कैसी बराबरी करनी उसे कभी भी कोई भी कानून न जायज कहेगी न ही मस्तिष्क और शाररिक स्वास्थ्य।।
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