"प्यासा" का रीमेक बने तो कोई इन लाइनों को उसमें रखवा देना। डबल ब्रैकेट वाली लाइनें बाकी सब कुछ देर का धुंआ है।
      ((कलमकारों की आशिक़ी उनके कलम पकड़ने के बाद शुरू होती है लेकिन उनके ज़िन्दगी की सौत उनके सोचने के साथ ही शुरू हो जाती है। जी करता है कलेजा काट के रख दूँ मगर बेवक़्त बेफुजूल का ख्याल ने कहीं का न छोड़ा। दोस्त मुहब्बत रिश्ते हमदर्दी हमराही अपना ये सभी बातें आसमानी होतीं हैं हमारे लिए। इतना बड़ा नुकसान करने के बाद थोड़ी बहुत सहानुभूति के लिए जिये जा रहें होतें हैं अरे जनाब कहिए घिसे जा रहे होतें हैं। और वह भी मिलती है मरने के बाद! दुनिया वालो ये भी किस काम की अब यह भी रख लो। कुछ देर का धुआं फिर कुछ नही।।))

आइये जलाई जाए सिगरेट आइये शराब पी जाए
जीने की आरजू मरती नही आइये बर्बाद की जाए

तन्हा सफर, तन्हा घर, तन्हा मन, सब तन्हा तन्हा
अजी ठहरिये जरा नमकीन बर्फ तो मिलाई जाए

वो मुस्कुराते थे अपना कह कह कर फरेब था
चलिए उस फरेब पर ही जाम छलकाई जाए

लम्बा अरसा हुआ रोये सबूत को निशान भी नही
पिछली रात की तरह निशान बनने तक रोया जाए

दोस्त थें कुछ अपने थें लाश को उन्होंने भी छोड़ा
अजी छोड़िये भी अपनी मौत पर क्या रोया जाए।।

J

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