हमारा हिंदुस्तान आज तेरा मेरा हो गया
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हमारा हिंदुस्तान आज तेरा मेरा हो गया,
न जाने ये मेरे गुलिस्ता को क्या हो गया।
बिखरा डाल ये फूल उदास सा हो गया,
सहमा, डरा सा पंछी का पिंजर हो गया,
चली हैं ये कैसी रवायतें ये क्या हो गया,
न जाने ये मेरे गुलिस्ता को क्या हो गया,
बरश गई आग या फिर जमी हिल गया,
अनंत से खुशनुमा बाग कैसे बदल गया,
अये हुक्मरानों जवाब दो ये कैसे हो गया,
न जाने ये मेरे गुलिस्ता को क्या हो गया,
मिलती हैं नदियाँ व हवाएँ घुलती हैं जहाँ,
सूरज उगता जहाँ जहाँ चाँद भी दीखता,
मिठास मिट गई बताओ ये कैसे हो गया,
न जाने ये मेरे गुलिस्ता को क्या हो गया।
रंगीन जन लापता लिबास रंगीन हो गया,
मंदिरो मस्जिदों का राम अल्लाह हो गया,
रो पड़ा मैं, मेरा दिल रूह ये कैसे हो गया,
हमारा हिंदुस्तान आज तेरा मेरा हो गया,
न जाने ये मेरे गुलिस्ता को क्या हो गया।
मिलती हैं नदियाँ व हवाएँ घुलती हैं जहाँ,
सूरज उगता जहाँ जहाँ चाँद भी दीखता,
मिठास मिट गई बताओ ये कैसे हो गया,
न जाने ये मेरे गुलिस्ता को क्या हो गया।
बना हूँ फरेबी मैं जमीर को क्या हो गया,
मेंरे तेज़ बुलँद इंक़लाब को क्या हो गया,
आज़ाद हाथो में बेड़िया ये कैसे हो गया,
न जाने ये मेरे गुलिस्ता को क्या हो गया,
गुम हो गये मेले, भीड़ सुनसान हो गया,
उजड़ा बिखरा इक शाही महल हो गया,
कटी जो उमंग की पतंग ये कैसे हो गया,
न जाने ये मेरे गुलिस्ता को क्या हो गया,
तुम भी क़ातिल मैं भी गुनेहगार हो गया,
हम सब का ही बागबाँ शर्मसार हो गया,
मैं, तुम भी तो जवाब दो ये कैसे हो गया,
हमारा हिंदुस्तान आज तेरा मेरा हो गया,
न जाने ये मेरे गुलिस्ता को क्या हो गया।
~: ज्योतिबा अशोक
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