बरगद का पेड़
देखो ये मेरे बरगद के पेड़ को क्या हो गया.,
थोड़ा पत्ता हरा थोड़ा पत्ता गेरूआ हो गया.,
बैठती उठती चौपाल.,मजमा लगता था जहाँ.,
बरगद का वो पेड़ विरान, सुनसान हो गया.,
निकला था सूबह कि ताजगी में चार कदम.,
अमन के शहर में मन और बेचैन हो गया.,
नही थी कोई वहाँ दूकाने समोसे चाय कि.,
बरगद का वो पेड़ विरान, सुनसान हो गया.,
भटक गई वहाँ कि भीड़ घरो मेँ गलियोँ में.,
सादगी के सड़क पे आग और आग हो गया.,
निकली तेज गाड़िया जहाँ कदम तक रूके.,
बरगद का वो पेड़ विरान, सुनसान हो गया.,
रोक के पूछा मैं खबर अपने बागबान का.,
कोई बताया यहाँ कल जँग-ए-मैदान हो गया.,
यहाँ बर्फली हवाओ में थार का ताप हो गया.,
बरगद का वो पेड़ विरान, सुनसान हो गया.,
देखो ये मेरे बरगद के पेड़ को क्या हो गया.,
थोड़ा पत्ता हरा थोड़ा पत्ता गेरूआ हो गया.,
शान था हमारा वो आज शर्मसार हो गया.,
बरगद का वो पेड़ विरान, सुनसान हो गया.,
~: ज्योतिबा अशोक
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