वो देखती रह गई किसने क्या बाँट लिया।
उसके बच्चों ने उसका निवाला बाँट लिया।
माँ बोली की ये बच्चे नादाँ हैं जरा उलझे हैं,
रिस्तेदारो ने अपना सारा हिस्सा बाँट लिया।
वो चुप चाप चुनति रहि बिखरे ख्वाबो को,
मजाक हि में बच्चों ने ईट-ईट बाँट लिया।
मालकिन थी वो एक खूबसूरत बाग की,
बेटियो ने गुठली गुठली का दाम बाँट लिया।
सोती रही हैं रात भर बरामदे में वो बुढ़िया,
कल की आई बहुओ ने कमरा बाँट लिया।
अब उसका बूढ़ा, उसके साथ नही रहता,
उसके मासूम बेटो ने तो माँ बाप बाँट लिया।
करती भी क्या वो सिकायत मिला देने की,
हुकूमत ने भी तो सबका रिस्ता बाँट लिया।
वो जिन्दा रही अब मर जाने के लिए फकत,
अंगूठे को तो प्यारा छोटा लड़का बाँट लिया।
उसे तो फिर भी संतोस था अपनी मौत पे,
मगर पोते पोतियों ने तो कफ़न बाँट लिया।
वो मर कर भी न मरी, सबने हिसाब ले लिया।
उसके हाथो की पीतल उसका नाती ले लिया।
वो देखती रह गई किसने क्या बाँट लिया।
उसके बच्चों ने उसका कालेज बाँट लिया।
ज्योतिबा अशोक
No comments:
Post a Comment