अजाब लड़की
रख के दिल पे हाथ वो मेहबूब का खबर लेती हैं।।
कुछ ऐसे ही हीर दूर रह के चैन की आह लेती हैं।।
कही तड़पता हैं राँझा छुप छुप के हवाओं से भी।।
की छत के धुप से वो जूलियट प्रतिबिम्ब लेती हैं।।
सुरो को बाँध लेता हैं कृष्ण जब ढलता हैं सूरज।।
मीरा तन्हाइयो में भी रंग की दुनिया ढूंढ लेती हैं।।
जब बेखबर, बेसुध सा सोता हैं शिव हिमालय में।।
कोई एक पार्वती खमोशी में राग अलाप लेती हैं।।
जलती हैं बन के दिया रात भर चौखट पे बिहरन।।
झूठे जवाब बना के मैसम का हाल बदल लेती हैं।।
झूठा हैं लिखने वाला की अब इश्क़ नही "अशोक"
की वो अजाब लड़की दिल का दर्द छुपा लेती हैं।।
~: ज्योतिबा अशोक
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