हौसला
उल्फत हैं?
तो फ़िज़ा के एक एक कण को मना लेंगे।
उतने समझदार तो नही हम भी
मगर कोशिस करेंगे
हर एक देह को मना लेंगे।
जो रह जायेगी कमी सच कहूं पूरा तो न कर पाउँगा।
मगर उम्मीद है।
हर कमी को सुलझा लेंगे।
तुम्हे डर लगता हैं सबसे या बहुतो से या घर से
और मेरा डर तुमसे।
तुम हो संग तो
हौसला हैं।
टूटी नाव भी खे लेंगे।
~: ज्योतिबा अशोक
(डर = फिकर)
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