मेरी रेक बनोंगे?
हिंदी हूँ मैं।
मगर क्या?
तुम मेरी रेक बनोंगे?
यूँ तो मैं
आकार,
हर्सिकार दृघिकार से सजा।
लगी हैं मुझमें उ बड़ी ऊ की मात्रा।
एकले दोकले से परिपूर्ण।
औ भी।
अं,अः भी।
सब कुछ हैं।
बेहद खूबसूरत हूँ।
बहुत बहुत सोहरत हैं।
एक पूर्ण विराम से थमा हूँ।
फिर भी एक रेक की कमी हैं।
बोलो,
कि तुम मेरी रेक बनोंगे?
कि सुद्ध हो जाऊँ मैं।
कि हिंदी हूँ मैं।
कि अधूरा हूँ मैं।
कि तुम मेरी रेक बनोंगे।।
बनोंगे तुम मेरी रेक।
तुम,
मेरी रेक बनोंगे।
~: ज्योतिबा अशोक
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