ख़त 5
जब जरूरत होती हैं। तब साथ आते हैं। मिलते हैं। ऐसे ही दोस्त बनते हैं। काम निकालते हैं। कहीं दीखते नही हैं। फिर कहाँ मिलते हैं। अनेक ताक रखते हैं। अनेक सान्तवना देते हैं। जब जरूरत होती हैं। तब साथ आते हैं। मिलते हैं। ऐसे ही दोस्त बनते हैं। काम निकालते हैं। कहीं दीखते नही हैं। फिर कहाँ मिलते हैं....!?
ऐसे ही दोस्त बनते हैं।।
ऐसे ही दोस्त बनते हैं।।
ऐसे ही दोस्त बनते हैं।।
~: Jyotiba Ashok
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