हुकूमत तुम
हुकूमत तुम कौन हो?
हमें लड़वा के हमारे ही लाश से हमारे ही घर में आग लगाते हो?
कही कहते हो कश्मीर हमारा है!
तो कभी,
कश्मीर में कश्मीरी हमारे नही कह उनपे बंदूख चलवाते हो?
वो पत्थर फेंकते है, बुरे हैं नही नही वहसी दरिंदे है।
मिडिया कहती है। न कहे तो भी हमारे आँख तो है दिखता है हमे घिन्न आती है।
लेकिन एक सवाल भी आता है।
क्या पत्थर सिर्फ कश्मीरी फेकते हैं?
क्या थाने और जगह नही जलते? क्या निहत्थे पुलिस वालों के सर पे लाठियां डंडे और जगह नही पढ़ते?
फिर क्यों बार बार हमें कश्मीर ही दिखाया जाता हैं? क्यों?
हमे उससे प्रेम है इसलिये?
वो हमारा जन्नत है इसलिये?
या उस मुद्दे से तुम्हे वोट बहुत मिलता हैं इसलिए?
बोलो जवाहर आरे बोलो बोलो, बोलो मोदी कुछ तो बोलो
कौन हो तुम?
हा जवाब दो हुकूमत कौन हो तुम?
सुनो,
हमे एक टुकड़ा नही चाहिए बंजर जमीन का हिस्सा नही चाहिए खून से लाल हुआ बर्फ नही चाहिए।
हमे पूरा चाहिए पूरा कश्मीर चाहिए कश्मीरी चाहिए।
हमे हमारा जन्नत चाहिए।
और सबसे पहले एक जवाब चाहिए।
बोलो हुकूमत कौन हो तुम?
हा तुम्हे ही पुकार रहे है पीछे क्या देख रहे हो तुम्हे ही
कौन हो तुम
हुकूमत कौन हो तुम?
~: ज्योतिबा अशोक
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