फूलन
धनुष के तीर से हुई थी घायल।।
हाँ।। हाँ।। फूलन।।
जब लुटे उसे धनुष वाले।।
आजी कहाँ थे संकटमोचन?(पुलिस)
ये दिल्ली सरकार न हुई अम्बानी की गुड़िया हो गई।।
यो सर से पटकी गई, रोको रोको खिड़की से फेंकी गई।।
पिछली सरकार से भी पिछली हो गई।।
औरत को मल्लाह बना दिया!!
अब चले हो राम शासन।।
इसे कहे हो राम शासन।।
भूल गए फूलन।। बोलो बोलो
हाँ। हाँ। फूलन।।
एक बार दो बार तीन बार चार पांच छे सात और और और गिनती भूल जाओ उतनी बार।।
ये धनुष वाले ही थे।।
जिसने लूटी मारी नोची खाई औरत की इज्जत।।
सरे आम घुमाया भाई हाँ भाई सरेआम।।
अरे हाँ बिन कपड़ो के।।
एक था बदन पे वो भी पानी भरते खिंच लिया अरे वही जिसने राम का धनुष थाम लिया।।
क्यों भूल गए।।
भूल गए फूलन।।
हाँ, हाँ फूलन।।
~: ज्योतिबा अशोक
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