सफेद जीप
आओ शहरी बाबु तुम्हे इंक़लाब हम सिखलाते हैं।।
इंक़लाब का तड़प,
इंक़लाब का दर्द,
इंक़लाब का आह,
इंक़लाब का पैगम तुम्हे हम बताते हैं।।
सुनो एक जीप आई थी पिछले महीने दरवाज़े पे सफ़ेद जीप, अम्बेस्डर या कार नही।।
सफेद कागज पे काले लाल हरे अक्षर थे न जाने क्या?
शाम तक छोटी बेटी घर न लौटी।।
आदिवाशी जात।।
कहाँ जाते भला? जंगल जंगल इस जंगल उस जंगल।
पता चला सफ़ेद जीप वाला ले गए है।
भाई गया मेरा बेटा उन्होंने कहा उसे सर्च चल रही है पूछ ताच हो रही है कल रात कोई जंगल आया था क्या?
हम आदिवाशी मेरी अबला रात का जिक्र! क्या जाने शहरी बाबु? हम तुम्हारी दुनिया।।
दूसरे दिन बापू गये कहा भाग यहाँ से दलाल धंधे करवाता हैं!
छोटी बहिन थी साहिब, बडी बहिन रोने लगी जीप वाले बोले जा मिला दे रे इसे नाप कर लेना इसकी भी।(जोरदार हंशी)
सब कुछ गवा के छोटी से मिली।
लड़की लकड़ी में टँगी मर्दो के बीच नंगी बेहोस दिखी।।
सब हाल कह सुनाया।। मैं रात दश अकेले रोते गिरते गई।।
अट्टहास था शराब था बेटी की चीख थी।।
मुझसे पूछा गया ऐसा क्या? मेरे दूध में था!
सबकी हवस पूरी हुई लड़की गई थी मेरी मैं लकड़ी ढो लाई।।
चार दिन बाद मेरी दोनों बेटी मर गई कल एक और लकड़ी आई है अगले सप्ताह उसका जनाजा उठेगा।।
इंक़लाब का धुआं उठेगा।।
भारत मर जायेगा।। संविधान लड़खड़ायेगा।।
हम रोयेंगे।। हम रोयेंगे।। इंक़लाब दफ्न हो जायेगा।।
अरे हाँ शहरी बाबु।।
हमारे आँशु ये ये तो नक्सल कहलायेगा।।
~: ज्योतिबा अशोक
(((टिप्पणी :: एक नजर हमे उन परिवारों के तरफ भी देखना चाहिए। क्यों? जवाब ये हैं।।--राष्ट्रीय मानवादिखार की रिपोर्ट। आदिवाशी के जल जंगल जमीन पे हक़ उनकी बेटियों से हर रोज बलात्कार जैसे वो आदिवाशी आदिवाशी न हो किसी रिसोर्ट के... बला बला बला बला।।
सहीदो को नमन।।
आदिवाशी परिवार को नमन।।)))
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