मजदुर नही गुलाम।।
बन्द करो पाखण्ड।।
यहा अब मजदुर नही गुलाम रहते हैं।।
सड़क सुनसान रहती है स्वाभिमान सरेआम रहते हैं।।
ये रिवाज ये तौर ये तरिके जिंदो के लिए हैं।।
यहा गूंगे बहरे मुर्दे मजदुर।।
मजदूर नही गुलाम रहते हैं।।
बीके है सब सेठो के पास, सेठ बीके है अपने सेठो के पास कही गिरवी है सरकार कही सरकार गिरवी रखी सब आवाज।।
एक एक पहिये के एक एक कील को बेच रखे हैं।
ये सियासत है?
ये समाज है?
ये लोग है?
जहा हर एक सर हर दूसरे सर का हक़ मार रखे है!
थू है।।
मजदुर को गुलाम कर रखे है वाह जी बड़ा लोकतंत्र अपनाए रखे है?
इतिहास में अब कारोबारियों का बोल बाला है।।
न्यायलय पैसो वालो का दीवाना है।।
सरकार टुकड़े चबाती है बड़े बड़े सेठो की।।
मजदुर परेशान।। हताश।। बेबस।।
लक्षण गुलाम।।
तो फिर बन्द करो पाखंड।।
यहा अब मजदुर नही गुलाम रहते हैं।।
~: ज्योतिबा अशोक
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