अकेलापन
कमरे में भी एक कमरा होना चाहिए।।
ऐ मौला हर दर्द का दवा होना चाहिए।।
कहाँ जाएं ये सवाल आँखों से निकल।।
हा बस्ते में भी एक बस्ता होना चाहिए।।
किसके तलाश में कौन पता होना चाहिए।।
घाव रूह पे है तो भी भर जाना चाहिए।।
भीड़ भाड़ में भी हाँ एक गुलमोहर हो ही।।
तन्हाई में थोड़ी सही, जुबां होनी चाहिए।।
हर तरफ कायदे घूमते है बुजुर्ग घूमते हैं।।
फरेब फरेबी लिबास ले सरेआम घूमते हैं।।
इसमें मेरा रूह जो की बच्चा सा है तेरा।।
इसका बहुत न थोड़ा इंतेजाम होना चाहिए।।
~: ज्योतिबा अशोक
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