1.
बंटवारा
खिड़की के वो दोनों पाले वर्षो तक लड़ें होंगे।।
हाँ! अगर टूटे न होंगे हजारों बार पुकारे होंगे।।
अशोक, देखा है सरहद को हवा पानी रोकते?
मिट्टी के वो दिवार घुल कर पीछा किये होंगे।।
जिंदा है ज़ेहं में वो पेड़ कब के गिर गए होंगे।।
उन आशि मुनिया के अपने औलाद हुए होंगे।।
ख्याल ये बस याद भर है ये सब सब अशोक।।
रौनक भी उस भीड़ को बेवा छोड़ आए होंगे।।
कहा तो होगा सियासती सेठो ने पाक पाक हिन्द हिन्द।।
सच में कई, पाक हिन्द में हिन्दें पाक में रख आए होंगे।।
अशोक वो मौलवी ढूंढता होगा अपना मोहन।।
तो कई फ़रिस्तें अपना मंदिर छोड़ आए होंगे।।
~: ज्योतिबा अशोक
No comments:
Post a Comment