ये भारत है।
हर मंदिर के छत से एक मस्जिद दिखाई पढ़ता है।
ये भारत है, मौलाना अपने हाथों से मन्दिर में फूल पहुचता है।
देखते ही पंडित सलाम करता है।
मुस्लमान भी राधे श्याम राम कहता है।
हाँ आज कल थोड़ी हवा चली हैं जहरीली!
वोट के भूखों ने फैलाई है।
अपनी अपनी मतलब की रोटियां सेकनी चालू की है।
भोली भाली जनता को परेशान कर रखी है।
मन शिथिल है।
जेहन में घाव पनप आये हैं।
धैर्य।
ये भारत हैं, यहाँ नीम मुस्लमान का लड़का तोड़ता तो हिन्दू की लड़की नीम उबाल देती हैं।
कही हिन्दू राखी बांध देती हैं कही मुस्लमान कन्यादान कर देता हैं।
ये भारत है, रंग लाता है।
ये भारत है, रंग बिखेरता है।
जी हां ये भारत है। ये भारत है।
~: ज्योतिबा अशोक
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