()आज की रचना()
याद है न!
तलवार थामे खड़ा है मनु
हक़ की बाते तुम बोलना मत।।
सुग्रीव माथे पे है खड़ा पगले
हक़ की बाते तुम सोचना मत।।
अधिकार मत मांगना वरना कलंकी कहे जाओगे,
गुलाम बन के रहो
पूजो अपने मालिको को
गोड़ धो के पियो उनके बच्चों का
वरना याद है न! अहमी अज्ञानी मूर्ख सत्यानाशी कहे जाओगे।
ले हाथ अपने, अपने आँखे मूंद लो
जो मारे चप्पल लात अपने कान ढंक लो
जो धकिया के तुम्हे ले जाये तुम्हारे हिस्से का खाना
फिर भी,
जय जय जय कार करो
पढ़े लिखे स्वाभिमानी माने जाओगे।
वरना,
याद है न! अस्पतालों जेलों में ठूंस दिए जाओगे
लाश बन जाओ पत्थर बन जाओ
हक़ मांगने वाला मत बनना
वरना,
याद है न! भीड़ के शिकार हो जाओगे।
पता किया जायेगा तुम्हारी हौसियत तुम्हारा नाम तुम्हारी औकात
अगर बहरुआ बाबू छोटे निकले तो और छोटा कर दिया जायेगा।
याद है न!
तलवार थामे खड़ा है मनु
सुग्रीव माथे पे है खड़ा।
क्यों पगले याद है न??
राजवंशी जे. ए. अम्बेडकर
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