()यह कविता दिनकर के जन्मदिन पर ही और जन्मदिन को ही लिखी गई थी उन्ही को समर्पित भी है। बीते कुछ दिनों से भारत की हालत और भी दयनीय होने की वजह से ये कविता पोस्ट नही किया। आज आप पढ़ सकतें है जो तथाकथित हमारे लेखकों(मुझपर भी) पे तंज भी है।
खैर, पढ़े, पढ़ाये आनंद लें😊😊()
- 【 सब लेखक हैं 】-
सोचा आज लम्बी लेख लिखूंगा
एक ऐसी अमिट कविता
जिसके धुन में सभी स्रोताओं को झूमना होगा
सोचते सोचते सुबह से दोपहर
फिर देखते देखते दोपहर से शाम हो गई
हताश! निराश!! परेशान!!!
कब लिखूंगा?
कुछ लम्हो बाद ही तो बीत जाएगा दिनकर
दिनकर का जन्मदिन
लेकिन अब भी सोच ही रहा हूँ
आज जो दिनकर को नही पढ़े!
आज जो दिनकर को नही गढ़े!
क्या दिनकर पर लिखी मेरी कविता पढेंगे?
यहाँ तो सब लेखक भरे पड़े है
क्यो पढेंगे?
इनमे इन्हें न तो धर्म मिलता है और न ही चाटुकारिता
और मैं उसी दिनकर की तस्वीरे खींचने चला हूँ
कौन पढ़ेगा मुझे?
जद्दोजहद में हूँ अब भी सोच रहा
लिखूं? या रहने दूँ?
जहाँ सब लेखक हैं।
राजवंशी जे. ए. अम्बेडकर
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