()शब्दों ने मुझे नींद से जगा कर इन चन्द शब्दों के गुच्छों का निर्माण करवाया है कभी फुर्सत में ओर अच्छे से सुधार और कुछ जोड़ने का प्रयास करूंगा। फिलहाल......🤗🙏🙏 पढ़ें और आनंद लें।()
अपने कमीज़ का अधटूटा बटन देखा हमनें..
नही, नही दो नर्म नर्म होंठों को देखा हमनें..
इस किस्से को..
इस किस्से को आज रात ही न बनाएं तो क्या?
अधटूटे बटन में पूरी नाखुश नजर देखा हमनें..
उसे यूँ.. ही बुदबुदाते हुए सुना था एक रोज*2
की लोग उंगलिया उसपर रखेंगे
उसे यूँ.. ही बुदबुदाते हुए सुना था एक रोज
की लोग उंगलिया उसपर रखेंगे
कोशिस थी सब घाव भर लू जल्दी जल्दी से..*2
अरे नही नही जख्मों को ही छील लिया हमने..
अपने कमीज़ का अधटूटा बटन देखा हमनें..
नही, नही दो नर्म नर्म होंठों को देखा हमनें..
राजवंशी जे. ए. अम्बेडकर
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