()मेरे जीवन के दिनचर्या में दुष्यन्त और नागार्जुन का विशेष स्थान है। मेरे मोबी में आपको सॉन्ग/वीडियो शायद ही मिले यही कारण है आज भी मेरे पास 2 - 4 gb का मेमोरी कार्ड भी अधिक हो जाता है। लेकिन हां, आपको यूट्यूब के हिस्ट्री में दुष्यन्त और नागर्जुन का नाम जरूर मिल जाएगा। ऐसा तब से जब 245 रुपये में 1 gb नेट मिला करता था। कवि सभी शानदार होतें है लेकिन इनके बाद मेरे जीवन में दो और कवि आते है दिनकर एवं निराला। कमाल! कमाल!! कमाल!!! मैथली शरण गुप्त से मेरी व्यक्तिगत और साहित्यिक चिढ़ है कवि को झूठा नही होना चाहिए। अपनी रचना में तो बिल्कुल भी नही।
खैर आज की रचना पढ़ते है यह नागर्जुन और दुष्यन्त को सुनने के बाद लिखी गई है। पसन्द आये तो वाहः वाहः करें ना पसन्द आये तो बड़ा सा वाहःहहहहहह करें मैं आपकी भावना समझ जाऊंगा। 😀😀 पेश है....()
-【 एक बच्चा है 】-
आज अभिमन्यु को पांडवो ने घेर रखा है।।
ये तमाशा है जिसे युद्ध का नाम दे रखा है।।
न भाल है न ढाल है हां थोड़ा कच्चा भी है।।
एक बच्चा है जिसपर भेड़िया टूट पड़ा है।।
एक नया पुतला आया है बाजार में अब।।
हंसता है जब जब तब तब काट पड़ता है।।
मेरे जैसे कई है अपना सर घर पे रखने वाले।।
हम वहां है जहां हुकूमत सर काट लेता है।।
वह लायक तो नही फिर भी चिल्ला रहा है।।
कागज का नाव है जहाज से भीड़ रखा है।।
देखना यह है हमारा इतिहास क्या होगा.?
जनता का तय है कब्र तैयार हो रखा है।।
उसे समझों तो तुम्हारा भला है। मेरा क्या?
मैं दोनों तरफ से हूँ वह सिर्फ तेरा हो पड़ा है।।
कौरवो की तो बात ही नही है यहां दोस्त।।
पाण्डवो की लड़ाई है देश बिगाड़ रखा है।।
राजवंशी जे. ए. अम्बेडकर
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