इस साल महिला दिवस

()कुछ रोज के लिए राजनीतिक पोस्ट से दूर हूँ दूर हूँ मतलब एकदम दूर.. कविता से दूर नही हूँ। वैसे एक बात बताऊं कुछ लड़के/मर्द महिलाओं के इर्द गिर्द जाते ही बहुत बड़े वाले महिला हितैसी जो बन जाते हैं तरश आता है। तब हंसी भी आती हैं जब लडकिया/औरतें इन्हें समझ नही पाती बाद में रोना रोती हैं। वैसे मन ही मन सोचता हूँ जिस हिसाब से इनके अंदर मर्द को कोसते हुए स्त्रीवाद का विचार अचानक से उफान मारने लगता है जितनी कि एक अच्छी स्त्रीवादी स्त्री में भी नही होती तो विचार होता है मर्द पैदा ही क्यों हुए भैइये! अभी भी है मौका चेंज करा लो। सभी चीज़ों की एक तय सीमा होती है आप मर्द स्त्रीवादी तब हो जब कुछ गलत लगे और लड़की/औरत के पहले आप उसे #न कहो। वो भी अकेले में सबके सामने तो सभी ना ही कहेंगे।() खैर कविता पढतें हैं--

--【 इस साल महिला दिवस】--

मैंने नही दी बधाई इस साल
अगले साल भी नही दूंगा
उसके अगले साल और किसी साल नही दूँगा
पांच हज़ार साल से भारत जो पुरुषसत्ता का केंद्र बना है
जिसमें नित नए नए तरीकों से महिलाओं का शोषण हो रहा
अम्बेडकर सावित्री फातिमा के रहते जो उनका बलात्कार हो रहा
उन्हें दुर्गा सरस्वती कह कह के उनके सोच पर प्रतिबंध लग रहा
उन्हें पढा तो रहें
लेकिन सवाल पूछने के जो हक़ छीने जा रहें
उन्हें जीने की कला तो दे रहें लेकिन जीने की वजह जो छुपा रहें
अभाव ग्रस्त महिलाओं को
जो खरीद नही सकतीं कलम कॉपी
और खुद के भविष्य पर हंसते हुए कर्ज के कागजों पर लगा देती है अंगूठा
जिनपे अधिकार होता है किसी न किसी मर्द का
ऐसी महिलाओं को है किस बात की खुशी!
जो उन्हें बधाइयां दूँ?
वो डॉक्टर है लेकिन इलाज के अलावे उसे अपने अधिकार की कोई समझ नही
वो आई फ़ोन रखती है लेकिन तस्वीर खींचने से ज्यादा आई फोन रखने का स्तर जिसे पता ही नही
वो जिंस पहनती है लेकिन जिंस के आत्मविश्वास का अंदाज़ा ही नही
ऐसी अभागी नारियों को बधाइयां किस बात की?
मूर्ख नारियों
तुम आज भी वही हो 2 साल पहले वाली 200 साल पहले वाली 2000 साल पहले वाली
सम्भोग की वस्तु
बच्चे पैदा करने वाली फैक्ट्री
बस वक़्त के साथ तुम्हे सजाया गया है
तुम्हें अपने बराबर किया गया है कुछ मामलों में ताकि तुम्हारे उपभोग के समय किसी मर्द को समस्या न आये
और तुम इसे बदलाव समझ लिए!
और तुम इसे क्रांति समझ लिए!
इतना भर से तुम खुद को सबल समझ लिए!
फिर समझो
हमें नही देना तुम्हे बधाइयां
इस साल भी अगले साल भी किसी साल भी।

राजवंशी जे. ए. अम्बेडकर

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