शून्य में

()आपके काम को दाम नही मिलता तो बुरा लगता है। पिछली पोस्ट हटा दी..सब कुछ तय है खुद से और कुछ भी नही। ज़िन्दगी हां ना के बीच फंसी एक पेंडुलम है इससे ज्यादा कुछ नही। खैर आप पढ़िए जो आप पढ़ना चाहतें हैं मुझे जो करना है मैं वह करूँगा ही।()

-- 【 शून्य में 】 --

मुझे उससे इतना कहना था
मेरा इतना
उसके लिए उतना था
वह सुन न सकी बहुत जल्दबाज़ी थी उसे
ऐसा भी मुमकिन हो
मैं ही पुराने ख्यालात का रहा
इश्क़ की थीं उसने
किया
वक़्त बर्बाद करने का वादा तो नही किया था
जल्दी जल्दी में उसने पूरी इश्क़ जी ली
फिर चली भी गई
मैं बात तक न कर सका
लोग आधुनकि हो गए
या मतलबी हो गए
या नासमझ..
प्यार दोस्ती भरोषा चाहत
रेल की पटरियों से उतर
हाइवे के वन लेन में दौड़ने लगी है
कोई अधूरा प्यासा पिछे छूट जाता है
कोई मिलों का सफर कर
दुनिया में खो जाता है
समझौते ने हमें जाहिल बना दिया
हमने अपने जाहिलता को समझदारी बना रखा है
हे घड़ियों की छोटी छोटी सुइया
मुझे इंतजार है जिस दिन तू उल्टी दौड़े।।
सब कुछ लौटे
सामान्य में
वह भी
मेरे लिए लौट आए
मेरी मूर्खता पर हंसने को
लेकिन यह मुमकिन नही
वक़्त आ गया है
मुझे छूट जाना चाहिए
बहुत पीछे बहुत पीछे बहुत पीछे
शून्य में।।

Jyotiba Ashok

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