सूरज फिर आएगा..
फिर से चन्द्रमा घूमेगा इर्द गिर्द पृथ्वी के
यह संसार खत्म हो गया
तो ज्यादा से ज्यादा यह होगा
हज़ार करोड़ साल फिर लगेंगे
फिर से मानव आ जाएंगे
फिर से आ जायेगी
कोई न कोई सभ्यता
कोई न कोई संस्कृति
हमसे बुरी भी या हमसे बहुत बुरी भी
लेकिन हां,
इसके उलट भी हो सकता
यकीन है
मुझे
उलट ही होगा
क्योंकि हर नई रचना
पहले के किसी भी रचना से लाजवाब होती है।
जैसे हम लाजवाब हो जातें है चोट के बाद
जैसे हम ताजा ताजा हो जाते
खोते हुए जीवन मे जी कर
खो कर
पा कर नए उम्मीद को
हम भी तो एक पृथ्वी ही है न!
जिनसे जुड़ जुड़ कर निमार्ण होता है ब्रह्मांड का।
Jyotiba Ashok
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