((वो मेरे ज़िन्दगी का शायद सबसे बुरे दिन थें जब मुझे बात करने के लिए दो अकॉउंट बनाने पड़े थें (अच्छा हुआ तब फेसबुक आ गया था वरना जाने क्या होता..) जहां एक से दूसरे पर मैसेज करता था और फिर दूसरे अकॉउंट से खुद को रिप्लाई..आदमी हद से गुजर जाता है तो हुनरमंद हो जाता है। वह तन्हाई डिप्रेशन अलगावपन ने जिंदगी को इतना खोखला कर उसमें इतना कुछ भर दिया कि लोगों के सामने गम सांझा करना मजाकिया लगना लगा। बहुत खुश हूं या बहुत खुश दिखता हूं नही मालूम मुझे...हा मगर गमगीन से गमगीन वक़्त को फूंक मार के हंसा देने की कला आ गई है...बड़ी से बड़ी त्रासदी विचलित नही करती सुझाव निकलता है मुस्कुरा कर और मेरे साथ रहने वालों लोगों के साथ यही कोशिस करता हूँ.....हँसो खूब हँसो हंसी कभी भी कम नही पड़ने वाली))
-- 【 हद 】 --
ठंडी हवा सूखे पत्ते आकाश में बादल
हर अंधेरी रात को और भी अंधेरे में धकेल देती है
तन्हाइयो के जंगल में बीचो बीच खड़े हो
आवाज देना भी चाहो
तो किसे दोगे?
मदद मदद
के शोर के साथ निकले अल्फ़ाज़
खुद ही मदद की आस लिए तुम्हारे पास लौट आतें हैं।
पाव हाथ में लेके भागो तो भी
पत्तो की खड़खड़ाहट से
रूह कंप जाए
नाक से निकला तेज हवा भी
वापिस लौट जाना चाहता है तुम्हारे अंदर
खुद को समेटते ओढ़ते
गुजारिश होने लगती है
ए जिंदगी..अब विदा ले ले।।
लोग झूट बोलते है
अंधेरी रातों में
जहरीले कीड़े मकोड़े रहते है
शेर बाघ रहतें हैं
भूत रहतें हैं
उनसे कहना चाहता हूं
कुछ नही रहता
कुछ रहता है तो वह तुम
और तुम्हारी गुजारिश
दबी कुचली डरी सहमी सी गुजारिश
जिसे तुम बिलख कर मांग भी नही सकते
मांगोगे भी किससे?
भगवान भी तो नही होता
और न ही होती है भगाने की हिम्मत
न ही रुक जाने का हौसला
तन्हाई बाहर से दिख जाए वही गम है
आँशु बहाने का मौका भी
जो गम तुम्हें अंदर ही अंदर तन्हा किये जाए
वह होती है #हद
जो धीरे धीरे तुम्हें खोखला कर देती है।
छः सात फुट के शरीर में
यही कोई दो तीन सौ ग्राम का दिल पाया जाता है
इतने छोटे से अंग में सागर से भी गहरी खाई
मायने तो रखती है न
वह भी खोखली खाई..
सुंदर चांदी सा चमकने वाला चेहरा
अंदर ही अंदर काले गहरे धब्बों वाला चाँद बन जाएगा
बादलो में छुपा अकेला बहुत अकेला चाँद
किन्हें यकीन होगा इन बातों का?
कान के समीप मकड़ियों के जाल में उलझा
वह सूखा पत्ता
झन-झन.., झन-झन
दूसरे उलझे पत्ते से टकरा कर बजता है
न सहारा पौधे का ही मिला
न ही नौबत आई
जमीन से दो गज जमीन मांगने की
आँखों को बंद कर आवाजो से
जिंदगी के #हद को समझ लेना
आसान नही।।
Jyotiba Ashok
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