वर्त्तमान

()मेरे बाउजी कहतें हैं जब परिस्तिथि खराब हो नए सूरज का इंतजार करो। हर सुबह मिलने वाला दिखने वाला प्रत्येक चीज़ नया होता है और पहले से बेहतर होता है।
      जिंदगी में मेरे बहुत दोस्त रहें एक वक्त ऐसा था कि मुझे प्रोफेसर इस बात के लिए भी डांटा करते थें की आता है तो चार लड़के पीछे लेके आएगा निकलेगा कॉलेज के गेट से तो चार लड़के लेके निकलेगा। हाहाहा      
       लेकिन इन सब के बीच सच्चाई यह रही कि इनमें से कोई ही भरोसे का हुआ..इन्ही में से बाद में जाके कुछ भरोशेमन्द हुए।उनमे से भी कुछ के साथ मनमुटाव हुआ कुछ के साथ फिर से सब सामान्य हुआ कुछ के साथ नाराजगी दोस्ती नाराजगी दोस्ती आज तक बनी हुई है।
     इन सब से अलग सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे मिले--क्या लिखें हां तसल्ली मिली नाम नही दे रहा कम लोग है वो लोग समझ जाएंगे। आप लोग से बातें कर आप लोग से झूठ बोल आप लोग को परेशान करने के बाद प्राउड फील होता है।😉😝 नफीस आजाद भाई हमारे कम समझदार है इनके नाम दे रहा हूँ। 😂 इनका भी नही देता  लेकिन इनके साथ 13 तारीख को एक हादसा हो गया तो इनका जो दिमाग था वो आधे आधे में बंट गया।जिस वजह से...इनका #बियाह हो गया है और आधा दिमाग चला गया भाभी जी के पास। हाहाहा  #कभी_जरूरत_पड़े_सांसो_की_तो_हक़_से_छीन_लेना_मांगने_और_मेरे_देने_का_इंतजार_न_करना_दोस्त😊()

-- 【 वर्त्तमान 】--

तजुर्बा की माने तो
करीब आना जायज तो नही
फिर भी
फिर भी कुछ मशलों पर जोर कहाँ होता है?
अनचाहे लोग
कभी कभी युही इतने करीब आ जातें हैं
जिनका कुछ ठिकाना नही होता
कब मिले थें
क्यों मिले थें
कहाँ मिले थें
सभी सवाल धरे के धरे रह जाते हैं
कुछ आखिर में बचता है
तो
वह होता है
#वर्तमान
मिलें हैं
साथ हैं
भरोसेमंद है।
यह वह कड़ी है जंजीर की
जो एक दूसरे कड़ी को तीसरे कड़ी में उलझाए रखी है
बिल्कुल ही सहज रूप से
यहां आपको दिखावे की जरूरत नही
यहां आपको बनावटीपन नही चलता
और न ही कभी जरूरत पड़ती है
बोलने से पहले कुछ सोचने की
आदमी आदमी के बीच तो जिंदा है ही
लेकिन आदमी आदमी के बीच रह कर आदमी बने रहने का वजह यह है
बहुत अनुभव तो नही
फिर भी
बारिशें अच्छी होतीं हैं
खूब खेलो तीतर बितर करो
लेकिन याद रखो ऐसी दीवालें भींग जाएं
तो उन्हें सूखा लो
ये दीवार कंक्रीट की बनी रूखी सुखी नही होतीं
बहुत भींग जाती है तो गिर जातीं हैं
और फिर ढह जाता है
तुम्हारे बेफिक्री का मकान

Jyotiba Ashok

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