(कल के उपडेट के बाद आज फिर🤐...दरअसल आप मुश्किल में फंसने वाले है और यही कारण है बहुत पढ़ते पढ़ते लोग मुझे पढ़ना बहुत बन्द कर देतें हैं🤣..दरअसल कल जो लिखा था उसे मुझे अंतिम में लिखना था और जो आज लिखने के लिए दिमाग कह रहा है उसे बीच में या शुरुवात में लिखना था जो दो लोगों के बीच का मसला था उसे लिखना था..मैं उनकी भावना परिणाम तरीके यथार्थ पर लिखने लगा.....)
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आएंगे मोड़
और
भी
हम भी
कहीं मुड़ जाएंगे
देख परख
लेंगे
कोई अच्छा सा
नक़ाब
कहीं
अल्हड़ जवानी
छोड़ जाएंगे
जो यह पड़ा है
बदन
पर मेरे लिबास
है चेहरा
किसी का..
आह
ले कर पकड़ो
आग
समंदर
सुनहले
वर्फ़ में बदल
जाएंगे।।
-- 【 पिंकू, अविरल और उनका प्यार 】 --
पिंकू -- अच्छा यह बताओ हम खाएंगे क्या? मतलब भुख लगे तब! न पैसे हैं न कमाने का जरिया!
अविरल -- तो तुम अपना दिमाग क्यों कम करी हो मैं हूँ न।
पिंकू -- तुम हो तभी तो पूछ रही हूं तुम नही होते तो मेरा...
अविरल -- (बात को सहज करने को सोच कर) अरे बाबा..जब मुझे भूख लगेगी तब मैं तुम्हें खा लूंगा और जब तुम्हें भूख लगे तो तुम मुझे।
पिंकू -- अच्छा जी...तो भूख पहले मुझे लगी है मैं अपना डिनर शुरू करूँ? (हाहाहा.... दोनों हंसने लगते है पल भर बाद फिर सन्नाटा)
.........अपने पुराने घर को ठुकरा कर अपना आशियाना बनाना। मुझे मालूम नही यह फैसला गलत होता है या अच्छा लेकिन तकलीफदेय जरूर होता। सामने सभी परेशानियां खा जाने को मुह बाये खड़ी रहती है और आपके पास इंतेजाम कुछ नही होता........
पिंकू अविरल ने घण्टो अपने तर्को बातों हंसी मजाक रोने गाने के बीच यह फैसला किया कि नही!! घर नही छोड़ेंगे जो हो जाये...फैसला जो आये।
मुहब्बत जितनी खूबसूरत झूठ होती है उतनी ही नाजुक।
एक वाक्य ने "फैसला जो आये" इनके मुहब्बत को बदल डाला।
जहां एक वाक्य के बाद शाररिक नजदीकियां बढ़ी वही मानसिक दरारे भी बढ़ी..दोनों ने ही सोचा अगर फैसला हमारे खिलाफ आया तो! ऐसे में क्या हमें आगे बढ़ना ठीक रहेगा? मन के इस डर को जबान पर लाने से दोनो ही डरते रहें। लेकिन आंखे!! लेकिन स्पर्श!! दोनों ही के जबान तो कुछ और ही बयान कर रहें थें।
आंखे मुहब्बत की इंजन होती हैं..और स्पर्श मुहब्बत का ईंधन..इन दोनों के बिना मुहब्बत विरले ही सम्भव हो पाता है। आंखे जहां मुहब्बत को धक धक कर के धक्के देती हुई आगे बढ़ती है तो वही स्पर्श लब डब लब डब लब डब करते हुए प्यार को हक़ीक़त में पिरोता है।
फिलहाल इन दोनों ने ही अपने आप को शून्यता में छोड़ रखा था अविरल पिंकू के पास कुछ था तो देह..सिर्फ देह..फैलते होंठ जो दूसरों के नजर में मुस्कुराहट था।
लम्बी मुलाकात के बाद दोनों अपने घर लौट गए निजी जिंदगी अब निजी रही कहाँ थी...?
खैर...देखते हैं अगेले अंक में।।
-- Jyotiba Ashok
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