कहाँ बदले हम!!
थोड़े रहने खाने पहनने के तरीके भर तो बदले है
साधन बढ़ें हैं
बस।।
इसमें आधुनिकता क्या है!
बदलाव कहां है?
हजार हजार साल पहले भी मृत्यु हमें डराती थी
आज हजार हजार साल बाद भी हम मृत्यु से भागते हैं
हजार साल पहले हमें नही पता था हम जिंदा कैसे हुए! हम मर क्यों रहें हैं?
आज हजार साल बाद हम जानते है
हम जानते है जीवन के वजह को हम जानते हैं मृत्यु के कारण को
फिर भी तो डर रहें
कटु सत्य का जिसे तमगा दे रखा है जिसे हमने पृथ्वी का सबसे बड़ा सत्य कह रखा है
लाखो करोड़ो लोगों को दफना चुके हैं जला चुके है
फिर तो डर रहें!
इस दरगाह से उस दरगाह
इस मंदिर से उस मंदिर
भाग रहें भाग रहें भाग रहें भागे जा रहें
फिर कैसे हम कह सकतें हैं कि हम बदलें हैं?
कहाँ दिख रही आधुनिकता
क्या भैतिक उपलब्धता भर ही आधुनिकता की परिभाषा है
फिर तो जरूर।
और अगर वैचारिक परिवर्तन भी आधुनिकता है
तो अभी आधुनिक होने में अरब अरब साल लगने हैं।
जी,
हम आधुनिक नही हैं।।
~: ज्योतिबा अशोक :~
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