जो समंदर उमड़ पड़ा है दिल में उसे रास्ता दो
भूख नही गर उन्हें तो दोस्त इश्क़ का वास्ता दो
वो खा जाएंगे तुम्हारे हिस्से का भी गम व दर्द
मुस्कुरा कर जरा तुम कोई पुराना फ़लसफ़ा दो
सीने पर रख लो छाप उनके होंठो के गोलाई का
खींच लें कलेजे तक तुम्हें, कोई तो बहाना दो
देर रात तकोगे चांद वह फिर से रूठ जाएंगे
अरे उन्हें भी तो अपने आंखों का आईना दो
यह जो चल रहीं हैं ठंडी हवा जल भून जाएगी
केशुयों में उनके जरा सा तो अपनी उंगलिया दो
खुदा से बग़ावत जहां से दुश्मनी होती है तो हो
मना लो उन्हें झुक कर लाल गुलाबी कलियां दो
देखो यहां से एक नदी एक किनारा एक कस्ती
सबूत नही लेकिन अपने पांव, वजन उनका दो
जो समंदर उमड़ पड़ा है दिल में उसे रास्ता दो
भूख नही गर उन्हें तो दोस्त इश्क़ का वास्ता दो
Jyotiba Ashok
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