मिली हुई तकलीफों पर शिकायत नही करनी तुझसे...
यह वक़्त है जहां सब बदले वहां जरा तुम भी बदले।।
कोई झटके में कोई हौले से सभी ने तोड़ा जितना तोड़ा..
मैं पत्थर जात! पत्थर ही रहा मोम में न बदले न बदले।।
अपाहिज हुए दिल -व- दिमाग पर तरश सभी ने खाया..
एक सुर रोये जनाजे में, न कोई बदला न तुम ही बदले।।
अब चाहत भी नही, जुरूरत भी नही, ख्वाहिस भी नही..
फ़क़त रस्म निभ गए बिल्कुल न बदले बिल्कुल न बदले।।
अकड़ के रह गए लाश का ऐसे भी अकड़ जाना होता है..
हां सबने ही वफ़ा किया हमसे, तुम भी अंत तक न बदले।
Jyotiba Ashok
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