--【 सरकारी पानीटँकी 】--
शहर के बिल्डिंगों के बीच बना
एक सरकारी पानी टँकी
जिससे निकलतीं हैं टूटी, आधी-अधूरी जुड़ी हुई पाइपें
जिनसे रिसता रहता है पानी
पानी या वात्सल्य दूध!
जो भी।
हा मगर
इन बिल्डिंगों के बीच जिंदा रख पाने का एक मात्र
मददगार दोस्त
इन रिस्ते हुए पानी से हमारा अजीब सा रिश्ता है
नहाना पीना सब
इन्ही पाइयो से झूल कर हमारे बच्चे बड़े होतें है
और कुछ इन्हीं पाइपों से फिसल इन्ही पाईपों के नीचे दफ़्न होतें
फिर भी हम यही है
यही जी रहें
लेकिन कल कुछ लोग आए थे
इसे भी बन्द कर देने को जहां तहां ढंग देने को
क्योंकि
उनके बाथरूम तक जाने वाला यह पानी
हम पी जाते हैं!
Jyotiba Ashok
((बहुत शानदार तो नही लेकिन भाव तक जाने की कोशिश कीजियेगा।।। लिखना जैसे ही शुरू किया किसी जे कुछ उलझन में बुला लिया फिर जो ताना बुना दोपहर से बुना जा रहा सब इधर का उधर हो गया। अब जो है जो बचा है दिमाग मे यही है आपके सामने।
जो लिखने वाला था उसका शिर्षक कुछ कुछ यह था ....दो टुकड़ों में शहर ....))
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